प्रेमम : एक रहस्य! (भाग : 04)
"क्या गजब किस्मत है यार, ऐसे सनकी को इंस्पेक्टर कौन बना दिया है!" आदित्य अपना माथा पीटता हुआ अरुण के पीछे भागा, मगर जब तक वह गेट पर पहुँचा अरुण जा चुका था, उसे बस बाइक के स्टार्ट होने की आवाज सुनाई दी। वह वापिस अंदर चला गया। और टेबल पर ही फ़ाइल उलट पुलट कर देखने लगा।
"क्या ढूंढ रहे हो मिस्टर!" तभी एक लड़की की आवाज गूंजी, वह झेंप गया। सकपकाते हुए उठा और 'जय हिंद' कहता हुआ सैल्यूट करने की मुद्रा में तन गया। उसके सामने असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर मेघना खड़ी थी, उसके गहरे गुलाबी होंठों पर गहरी मुस्कान छाई हुई थी। आदित्य को हड़बड़ाते देख वह हँस पड़ी, पर जैसे ही उसे आदित्य की स्थिति का एहसास हुआ उसने अपने मुंह पर दोनों हाथ रखकर हँसी दबाने की कोशिश की।
"जय हिंद! क्या हुआ मिस्टर आदित्य? बड़े परेशान लग रहे हो!" आदित्य के सामने वाली चेयर पर बैठते हुए मेघना ने कहा।
"क्या बताऊँ यार! जब से ये आया है तब से दिमाग ढंग से काम ही नही कर रहा!" आदित्य ने ने बिफरते हुए कहा, इस समय वह बेबस लाचार प्रतीत हो रहा था।
"तुम 'ऑन ड्यूटी' मुझे "यार' नही बोल सकते मिस्टर आदित्य! भले हम बचपन से एक साथ पढ़े हों, साथ खेल-कूदकर बड़े हुए हो, एक साथ अकैडमी जॉइन की हो पर इस वर्दी की भी कोई मर्यादा है।" मेघना ने आंख तरेरते हुए कहा, जिसके उत्तर में आदित्य बस उसे काट-खाने वाली नजरों से घूरता रहा। "बताओ किसके आने से दिमाग काम नही कर रहा है?" आदित्य का पहले से भन्नाया हुआ दिमाग मेघना के इस व्यवहार से आहत हुआ, हालांकि मेघना ने कुछ गलत नही कहा था पर सच्चाई यह थी कि आदित्य को उसकी बात बुरी तरह चुभी थी।
"यही इंस्पेक्टर अरुण! पहले सुना बस था कि ऐसा है, अब देख भी लिया।"
"पर उन्होंने क्या किया तुम्हारे साथ!"
"कुछ नही, छोड़ो जाने दो!" आदित्य ने पास रखे जग से एक गिलास लानी निकाला और एक ही साँस में गटागट पी गया।
"रिलैक्स यार आदि!" मेघना उठते हुए बोली।
"रिलैक्स? यही तो नही होता यार, मेरे एरिया में ग्यारह किडनैपिंग हो गयी है, अब तक किडनैपर्स का कोई सुराग नही है। तुम्हें पता भी है, वे सारे बच्चे फिजिकली हैंडीकैप्ड हैं! समझ नही आता कोई उन्हें किडनैप क्यों करना चाहेगा?" आदित्य फट पड़ा था, गुस्से से उसकी आँखें लाल हो चुकी थी।
"व्हाट?" मेघना हैरान रह गयी।
"यही नहीं, पुलिस रिपोर्ट में कहीं भी बच्चों के दिव्यांग या अपंग होने की बात नही लिखी गयी है, वह कह रहा था कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया होगा ताकि निकम्मी पुलिस और निकम्मापन न दिखाए!" आदित्य का गुस्सा ज्वालामुखी की भांति फट पड़ा था।
"तो उनके कहने न कहने से क्या फर्क पड़ता है, ये बात तो हर न्यूज़ चैनल चीख-चिल्लाकर कह रहा है देहरादून पुलिस के बारे में! अब तो लोग भी यही मानने लगे हैं।" मेघना ने उसे शांत कराने का प्रयत्न किया। "देख मैं इतना जानती हूँ इंस्पेक्टर अरुण एक सनकी आदमी है, उसे उसके सनक के लिए ही जाना जाता है, मगर तू अरुण नही आदित्य है, दिमाग पर बर्फ की चार सिल्ली डाल और सोच कि कहीं कोई ऐसी कड़ी है जो हमसे छूट रही है।"
"उसके कहने से बहुत फर्क पड़ता है, वह खुद को तोप समझता है, एक दिन उसे भी उसकी औकात मालूम हो जाएगी।" आदित्य अब भी गुस्से में लाल हो रहा था।
"मैने कभी इस आदित्य को नही जाना, जो तुम आज हो रहे हो! मेरी बातों पर ध्यान दो।" मेघना ने प्यार से समझाते हुए कहा।
"सॉरी यार!" दो मिनट बाद आदित्य ने कहा। "पर जो भी बच्चे किडनैप हुए उनके पेरेंट्स अधिक अमीर नही है, कोई-कोई तो दो टाइम का खाना जुटाने काबिल भी नही है! इसका मतलब सीधा है बच्चे पैसों के लिए तो किडनैप नही किये जा रहे हैं।" आदित्य ने सोचने की मुद्रा बनाकर बोला।
"इससे क्या होगा फिर? मुझे भी यह कुछ समझ नही आ रहा था। कल मैंने ही उस ट्रक वाले को पकड़ा था, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो जानबूझकर खुद को पकड़वाना चाहता था।" मेघना ने अपने दिमाग पर जोर देते हुए कहा।
"हम्म! यह तो अजीब है। कोई किडनैप करने के बाद चुपके से भागना चाहेगा मगर तुम्हारे मुताबिक वह खुद ही तुम्हारी नजरों में आया। अगर वो नही चाहता तो चुपके से निकल सकता था? मतलब साफ है कि वो खुद ही पुलिस की पकड़ में आना चाहता था।"
"शायद!"
"सबसे अजीब बात तो ये है कि उसने आते ही एक को पकड़ा था, होटल पैसेफिक में; उसके मुताबिक वह उन किडनैपर्स का ही साथी था। मगर मुझे उस लड़के के पास से ऐसा कुछ नही मिला जिससे उसके किडनैपर होने का प्रूफ हो! उसके पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी उसकी मौत की वजह दम घुटना बताया गया, यानि उसने आत्महत्या कर लिया!"
"अरुण सनकी और अकड़ू टाइप है, मगर इतना मैं नही जानती हूं कि वो इन्नोसेंट्स पर जुल्म नही कर सकता। वओ पक्का देशभक्त है, अगर उसने हाथ डाला है तो वो जरूर ही किडनैपर ही रहा होगा या किडनैपर्स का कोई साथी रहा होगा, तुम्हें उसके शरीर पर कुछ अजीब चीजें मिली थी, निशान टाइप!"
"ये देखो! ये मैंने तब लिया था जब उसे लिफ्ट से निकाला गया था। पर मुझे इसमे कुछ भी अजीब दिखाई नही दे रहा सिवाय इस चिन्ह के।" आदित्य ने ज़ूम करते हुए वह निशान मेघना को दिखाया।
"ओह माय गॉड! अब तो पक्का है कि अरुण सही है, ये बताओ वह कहां गया है?" मेघना ने उठते हुए पूछा।
"पता नही! मेरे बाहर निकलने से पहले ही वह जा चुका था।" आदित्य ने कहा, उसे समझ नही आया कि इस निशान में ऐसा क्या था तो मेघना इतना चौंक गयी।
"सभी अपने अपने नाके पर पहुँचो जल्दी!" मेघना ने सभी को आर्डर दिया, अगले ही पल अपनी जीप में बैठी और तेजी से दौड़ा दिया।
"लो अब ये भी पागल हुए जा रही है, मुझे भी अपने लेवल पर जानकारी एकत्रित करनी होगी।" मन में सोचते हुए आदित्य बाहर निकला।
◆◆◆
"मुझे कल की दो बजे की बाद वाली सारी वीडियो चाहिए, अभी तुरन्त!" धड़धड़ाते हुए अरुण टोल ऑफिस में घुस गया, सिक्युरिटी गॉर्ड उसे रोकने के लिए आगे बढ़ा पर उसका रुआब देखकर ठिठक गया।
"सॉरी मिस्टर! मगर आप कौन? हम किसी भी ऐरे-गैरे को अंदर आने की इजाजत नहीं देते और आप यहां तक कैसे चले आये? सिक्युरिटी!" अरुण को घूरते हुए एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति ने ऊँचे स्वर में कहा। प्रत्युत्तर में अरुण ने बस अपनी आई डी कार्ड उसे दिखा दिया, उस व्यक्ति की हालत थोड़ी अजीब हो गयी, उसने मुँह छिपा लिया।
"वेलकम सर! आइए बैठिए कहिए क्या सेवा कर सकते हैं हम आपकी!" पास ही एक टेबल पर बैठी हुई युवती होंठो पर मुस्कान लिए बोली।
"कोई सेवा नहीं चाहिए, बस हमें कल दो बजे के बाद कि सारी वीडियो फ़ुटेज चेक करनी है!" अरुण ने चेहरे पर बिना कोई भाव लाये सामान्य रूप से कहा। लड़की ने आँखे उठाकर एक नजर उस अधेड़ व्यक्ति की तरफ देखा जैसे वह उससे इजाजत लेना चाहती हो, अगले ही पल उसकी उंगलियां कीबोर्ड पर नृत्य करने लगीं।
"ये लीजिये सर!" सामने रखे बिग स्क्रीन पर सभी कैमरों के चलचित्र चलने लगें। अरुण बड़े गौर से एक-एक दृश्य को देख रहा था।
"इसे थोड़ा फ़ास्ट करो!" उसने लड़की की ओर देखते हुए कहा। उसकी नजरें स्क्रीन पर गड़ी हुईं थीं, वह कुछ खास की तलाश कर रहा था। "ये इधर ब्लैक-ब्लैक क्या है?" अरुण ने उस दृश्य की ओर इंगित करते हुए कहा।
"ये तो मुझे पता नहीं सर!" लड़की ने उसे बड़े ध्यान से देखते हुए कहा।
"इस वीडियो को फिर से रिवाइंड करो!" लड़की की उंगलियां फिर कीबोर्ड पर तेजी से चलीं। वीडियो चला मगर अरुण को कुछ भी समझ न आया।
"मुझे ये वीडियो हार्ड डिस्क में चाहिए, जितना जल्दी हो सके!" अरुण ने उस अधेड़ से कहा।
"सॉरी सर! इसमे तो थोड़ा वक़्त लगेगा।" उस व्यक्ति ने सकुचाते हुए कहा।
"ये क्या है? इसे पॉज करो।" अरुण की नजरें एक दृश्य पर थम गईं, वह दृश्य एकदम धुंधला नजर आ रहा था इतना अधिक धुंधला की बिना ध्यान से देखे वह बस बैकग्राउंड बनकर रह जाता। "अरे ये तो वैसा ही ट्रक जैसा कल मैंने पकड़ा था।" अरुण ने कुछ सोचते हुए कहा।
"जरा जूम करना!" लड़की की उंगलियां अरुण का।आदेश मानने चल पड़ी।
"ओह माय गॉड! यह वैसा ही नही बल्कि वही ट्रक है।" अरुण हैरान हुआ। "यहां रिकॉर्डिंग तो 02:55 PM पर की गयी है, जबकि वह ट्रक मेरे आँखों के सामने ही तकरीबन 02:40 PM पर ब्लास्ट हुआ था। चल क्या रहा है ये सब! कहीं ये वही तो नही करना चाहते जो मैं समझ रहा हूँ, ओफ्फ नहीं..!" अरुण गुत्थी सुलझाने के चक्कर में और अधिक उलझता जा रहा था। अचानक उसके दिमाग की घण्टी जोर से बजी, उसे खतरे की आशंका हुई। उसने अपना जेब टटोला पर वह फ़ोन लेना भूल गया था। लड़की उसे घूरे जा रही थी, उसे समझ नहीं आ रहा था ये बन्दा बस ब्लैक-ब्लैक चीजों पर ही क्यों नजर गड़ाए हुए है।
"थैंक्स मिस!" अरुण तेजी से बाहर की ओर भागा, उसकी आँखों में कोई सैलाब नजर आ रहा था। उसने बाइक स्टार्ट किया और हाथ एक्सीलेटर पर कस गए, अगले ही पल वह वहां से उड़न-छू हो गया।
क्रमशः...
Hayati ansari
29-Nov-2021 09:07 AM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
11-Nov-2021 06:13 PM
बहुत रोमांचक।बहुत खूबसूरत
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🤫
21-Oct-2021 08:20 PM
ऐसा क्या देख लिया अरूण ने, कहानी रोमांचक मोड़ पर छोड़ दी। आगे जानने की क्यूरोसिटी बढ़ रही है। वेटिंग फ़ॉर नेक्स्ट...
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